Sunday, October 10, 2010

कुत्तों के लिए प्राथमिक चिकित्सा

कुत्तों के लिए प्राथमिक चिकित्सा
सड़क पर रहने वाले कुत्ते और बिल्लियाँ अक्सर उपचार के आभाव में मारे जाते हैं, यह बात बहुत  दुखद: है, क्योंकि उनकी मृत्यु का कारण रहे घाव व चोटें आश्चर्यचकित रूप से बहुत आसानी से ठीक किये जा सकते हैं, एक बार आप ने सीख लिया की यह उपचार कैसे किया जाए विशेषतः कुछ गंभीर स्थितियों में, जब कुत्ते को अस्पताल में रखने की जरुरत नही होती, आप सडकों पर रहने वाले कुत्तों की सु:खद व स्वस्थ जीवन जीने में सहायता कर सकते हैं|

त्वचा सम्बन्धी संक्रमण, घाव व कृम घाव वे सामान्य समस्याओं में से कुछ हैं जिनसे सड़क पर रहने वाले कुत्ते  सबसे अधिक पीड़ित होते हैं| इन सभी समस्याओं  का आसानी से यथा स्थान उपचार किया जा सकता है (यद्यपि ये इतने गंभीर न हों की कुत्ते को पशुचिकित्सक या आश्रय स्थल में ले जाने की जरुरत हो )
प्राथमिक चिकित्सा किट (विषय-वस्तु):
एक बार आपके पास प्राथमिक चिकित्सा किट का सारा सामान हो तो आप किसी भी जरूरतमंद कुत्ते को समय पर चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं | नीचे दी गई औषधियाँ साधारण रूप से कुत्तों के लिए हैं, और संग्रह करके भविष्य में उपयोग के लिए रखी जा सकती हैं | यह सभी औषधियाँ किसी भी पशु-औषधि विक्रेता के पास उपलब्ध होती हैं |

कैंची, चिमटा, थर्मामीटर, कुत्ते को बंधने के लिए चेन, कुत्ते का मुहं बंधने के लिए फीता (और पशु चिकित्सक के पास उपलब्ध नियमित मज़ल टेप खरीदें), चिपकने वाला टेप, गाज़, पट्टी रुई व टॉर्च. दवाइयाँ:: Betadine Lotion, Nebasulf or Neosporin powder,, Himax Ointment (पशुओं के लिए एक चमत्कारी औषधि), turpentine oil and chloroform mixture), Topicure spray, Scabnil Oleo, neem oil, antibiotic such as Cifran 500 mg (for 20 kg dog), Avil tablets, Petmosol soap, Ecktodex or Ridd, sulphur powder, camphor powder.

घाव (बचाव कृम/मगट घावों से) आप भाग्यशाली होंगे यदि आप घाव को घरेलु मक्खी से पहले देख लें, छोटे से घाव को अनदेखा न करें यही घाव जल्दी कष्टदायक
इसके लिए आवश्यकता है: Betadine lotion, Neosporin powder, Himax ointment.
1. घाव को Betadine lotion से साफ करें 2. Nebsulf  Powder या Neosporin Powder को उदारता से घाव पर छिड़कें    3. Himax घाव पर लगाएं यह मक्खियों को दूर रखेगा और घाव को कीड़ों वाला घाव नही बनने देगा | यदि कुत्ते की देखभाल करने के लिए कोई हो तो कोशिश करें की Himax Powder उसके पास रहे, उसे घाव पर लगाने के लिए कहें जब तक घाव ठीक न हो जाए|

उपचार के लिए कुत्ते का मुहँ कैसे बांधें
  • कपड़े व किसी पदार्थ की लम्बी पट्टी, नाड़ा व टेप (ध्यान रहे यह चिपकने वाला टेप न   हो )  का प्रयोग करें
  • पट्टी को कुत्ते की नाक के ऊपर रखें |
  • पट्टी को कुत्ते की ठोडी के नीचे ले जायें व गांठ बाँध दें
  • पट्टी के दोनों सिरों कुत्ते के कानों के पीछे ले जायें कुत्ते के सिर पर एक बो बाँध दें |
कुत्ते का मुँह केवल उपचार के लिए कुछ मिनटों के लिए बांधें क्योंकि इससे कुत्ते के शारीरिक तापमान में वृद्धि हो सकती है, जो उसके लिए हानिकारक है |

त्वचा सम्बन्धी संक्रमण
यह सबसे साधारण समस्या है जो कुत्तों में पाई जाती है | सर्वप्रथम कोशिश करें की संक्रमण बचाव के द्वारा टाला जा सके | चुटकी भर सल्फर कुत्ते के खाने में हफ्ते में एक बार मिलाएँ, आप नीम की गोली (आयुर्वेदिक) दे सकते हैं जो बहुत ही प्रभावकारी है,  यदि हम इनके त्वचा संक्रमण का उपचार  कर सकें तो यह उस कष्ट को बहुत हद तक कम कर सकता है जिसे कुत्ता इस संक्रमण के समय सहन करता है Mange Scabies Fungal Infection कुत्तों में सबसे अधिक होने वाली त्वचा की बीमारियाँ हैं | अधिकतर कुत्तों का यथास्थान पर ही उपचार किया जा सकता है, इनके विभिन उपचार हैं |

उपचार 1 (एलोपेथिक उपचार)
1. अगर सम्भव है तो कुत्ते को Petmosol साबुन से नहलायें (इसे हफ्ते में एक बार दोहराएँ जब तक कुत्ता ठीक न हो जाए) 2. Ektodex 1 लीटर पानी में 1 चम्मच (या बोतल पर जैसा निर्देशित है ) घोल कर कुत्ते के शरीर पर लगाएं | नोट: यह दवाइयाँ जहरीली हो सकतीं हैं, कुत्ता इसे चाट न पाए कुत्ते को जब तक चलायें जब सूख न जाए | 3. Anti-biotic दवाइयाँ भी दी जानी चाहियें, क्योंकि कुत्ते द्वारा लगातार खुजाने से बैक्टिरिअल इन्फेक्शन हो सकता है |.  Amoxycillin दिन में 2 बार दी Vitamin B कैप्सूल के साथ दी जा सकती है |  Avil भी दे सकतें हैं |
उपचार 2. इस मिश्रण को बिल्लियों पर न लगाएं | Scabnil oleo को बराबर मात्रा में नीम तेल के साथ मिलाएं, कुत्ते पर ब्रुश की सहायता से लगाएं, हर 4 दिन में इसे दोहराएँ |  Scabnil oleo में मुख्य सामग्री Karanj oil है, जो एक शक्तिशाली एंटी-फंगल एजेंट है | नीम का तेल भी लाभदायक एंटी-फंगल है |
उपचार 3.  Sulphur Powder व कपूर बराबर मात्रा में अच्छी तरह मिलाएं इसमें नारियल का तेल डालें और मिलाएं, ध्यान रहे इसमें गाँठें न पड़ें, एवं मिश्रण तरल गाड़ा बने, यदि यह अधिक गाड़ा व गांठवाला होगा तो कुत्ते के शरीर से गिर जाएगा और अधिक तरल होगा तो यह कुत्ते के शरीर पर फ़ैल कर नही लग पायेगा | मिश्रण को कुत्ते पर सिर से पीठ की विपरीत दिशा में लगाएं ताकि यह बालों की जड़ तक पहुँच सके, इसे न रगड़े केवल पर्याप्त परत ही लगाएं |  हर 4 दिन में इस प्रक्रिया को दोहराएँ जब तक कुत्ता ठीक न हो जाए |
  • उपचार २ पैरासिटिक त्वचा सम्बन्धी बीमारी जैसे Mange व Scabies में बहुत प्रभावशाली है सामान्य अवस्थाओं में हमने पाया है की उपचार नम्बर 3 गर्मी से संबंधित त्वचा की बीमारियों में प्रभावकारी है क्योंकि इसमे कपूर होने के कारण शरीर में ठंडक पहुचाने के गुण हैं, इसे लगाते समय
  • कुत्ते कभी-कभी कुछ असुविधा महसूस कर सकतें हैं, परन्तु यह एक से दो घंटे में सामान्य हो जाता  है |अधिकतर कुत्ते इसकी तेज गंध के कारण इसे चाटते नही परन्तु फिर भी लगाते समय कुत्ते का मुहँ बांधना ही उचित है |
  • यदि त्वचा में से पस निकल रही हो तथा बाल झड़ना व खुजली के अलावा कोई और लक्षण हों तो कृपया किसी पेशेवर की सहायता लें, अधिक गंभीर समस्याओं में वर्णित उपचार काफी नही होंगें, यद्यपि अधिकतर स्थितियों में यह उपचार कारगर होतें हैं, यदि इनमें से एक मरहम काम न करे तो दो या तीन सप्ताह बाद दूसरा आजमाएँ |
त्वचा रोगों पर कुछ सामान्य बातें
पेट्स व कम्युनिटी पेट्स का एंटी-रेबीज व डिस्टेम्पर के टीकों से वार्षिक टीकाकरण इन खतरनाक बीमारियों को दूर रखने के लिए किया जाना चाहिए |
  • पिस्सू व चीच्चड़ – Notix Powder का उपयोग करें |
  • अपने पेट्स की हर 4 माह में डी-वोर्मिंग करें, इसके लिए Praziplus या Drontol Plus की एक गोली 15 kg  के भार के कुत्ते को दे |
  • कुत्ते को गोली कैसे दें- इसके लिए सबसे सरल तरीका गोली को बर्फी,  गुलाब जामुन या पनीर के बीच में रख कर दें | वे दवाई को इनके साथ ही निगल जायेंगे
  • सामान्य शारीरिक तापमान – 101.5F |
  • अतिसार–20 kg के कुत्ते के लिए 2 Dependol की गोलियां |सूजन (उदहारण के लिए पैर में व कुत्ता लंगड़ा रहा है ) यदि हड्डी टूटी है तो, कृपया कुत्ते को पशु चिकित्सक के पास ले जाएँ, यदि यह सिर्फ़ सूजन है तो Voveron की एक गोली दिन में दो बार जब तक दें जब तक की सूजन खत्म न हो जाए |
कृपया खुराक की मात्रा कुत्ते के आकार अनुसार तय करें |
*अस्वीकरण: यह सूचना मात्र जानकारी हेतु है,  संदेह की स्थिति में कृपया अपने पशु चिकित्सक से सम्पर्क करें.
For further queries or guidance, please write to jaagrutiindia@gmail.com or unitedforanimals.india@gmail.com
“किसी भी राष्ट्र की पहचान इसी से होती है की उसके यहाँ जीव-जंतुओं से कैसा व्यवहार किया जाता है”
- महात्मा गाँधी”

FIRST AID FOR STREET DOGS(English version)

FIRST AID FOR STREET DOGS *
A horrifying number of dogs and cats die because of lack of medical attention.  This is all the more tragic because wounds and injuries are surprisingly simple to treat, once you’ve learnt how. Especially for very serious cases, the dog does not even need to be hospitalized.  With your help, street dogs can live a happy and healthy life.  Some of the most common problems that street dogs suffer from are skin infections, wounds and maggot wounds.  All these can be treated easily on site (unless very severe when the dog needs to be taken to a vet or a shelter).
First Aid Kit:
Scissors, forceps, thermometer, chain to restrain the dog, tape to muzzle the dog (or buy a regular muzzle from a vet), adhesive tape, Gauze Bandages, cotton wool, bandages.
Medicines: Betadine Lotion and Ointment, Neosporin or Nebasulf  powder, Himax Ointment (a miracle medicine for animals) or Skinoment, Betnovate Skin Cream, Soframycin skin ointment, Ivermectin – 10 ml vial, Topicure spray, Scabnil Oleo, Neem oil, antibiotic such as Cifran 500 mg (for 20 kg dog), Avil tablets (25 mg or 50 mg -depending on the age and weight of the dog), Petmosol soap, Ecktodex or Ridd, Ivermectin tablets, sulphur powder, camphor powder, boric powder, coconut oil, kerosene oil, Cetrimide Lotion (Anti-allergic wash from Piramal Healthcare)
SKIN DISEASES This is the most common problem that dogs suffer from.  In the first instance, try and avoid them getting skin infections by taking precautions.  Give a pinch of sulphur in the dog’s food once a week.  You can also give a neem tablet (from Himalaya Drug Co.) once a week which is most effective too.  If we can help treat their skin infections, it would eliminate a great deal of suffering the dog undergoes. The most common diseases are mange and scabies and fungal infection. Most dogs can be treated at site. There are various treatments:
Treatment 1 (allopathic treatment)
  • If possible, give the dog a bath with Petmosol soap.  (Repeat once a week till the dog heals).
  • Apply Ektodex 1 tsp in 1 litre solution (or as instructed on the bottle). Note: As this medication is poisonous, do not let the dog lick himself.  Try and walk the dog till the medicine dries.
  • Antibiotics have to be prescribed as the constant scratching will have caused bacterial infections.  Amoxycillin can be given 2 times a day for three days along with Vitamin B capsules.  Avil can also be given to relieve the itching.
Treatment 2 Do not apply this mixture on cats.
  • Mix Scabnil Oleo with an equal part of Neem oil.
  • Apply on the dog with a brush.  Repeat every 4 days.
  • The main ingredient of Scabnil Oleo is karanj oil which is a powerful anti-fungal agent.  Neem oil is also strongly anti-fungal.
Treatment 3 (Home remedy) Warm Coconut oil and mix 10 cubes of camphor (camphor packet available in the market) and 1 tsp sulphur powder in it.  Then put in 1 tsp Boric powder in it and then kerosene oil and cool the mixture.  Apply the mixture on the dog’s skin, so that it reaches the hair roots. (You can clip the hair if you cannot reach the roots.   You can keep this mixture in a small glass bottle and repeat it until the dog is healed.

Some general points for skin diseases. Treatment 2 is very effective for parasitic skin disease like mange or scabies.  In general we have found Treatment 3 to be very effective in heat-related skin problems. This is because of the cooling properties of camphor. At the time of application this treatment may irritate the skin and make the dog restless, but this will pass off in an hour or two. Usually dogs do not try to lick these ointments because of the strong smell. However, to be on the safe side it might be a good idea to keep the dog muzzled during application.

WOUNDS (Prevention of maggot wounds)
You may be lucky enough to spot a wound before a housefly does. Do not neglect even a small wound especially if the dog cannot reach it to lick it since they are the ones which very quickly become maggot infested.  A gaping wound, however, is going to require stitches and the dog would be required to be taken to the vet.  If it doesn’t, then you can treat it yourself.
Medicine: Betadine lotion, Neosporin powder, Himax ointment.
Treatment: 1. Clean the wound with Betadine lotion.  2. Sprinkle Neosporin (or Nebasulf) powder liberally into the wound.
3. Put Himax on the wound liberally to keep away flies so that it doesn’t become a maggot wound. If the dog has a caretaker, try leaving Himax with him and tell him to apply it on the wound everyday until it heals.


MAGGOT WOUNDS. An open, round and deep wound with bleeding and which also gives out a foul smell are usually clear indication of a maggot wound (see image).  Since it is a painful procedure, the dog must be muzzled when it is being treated.  Do not treat head wounds but take the dog to a vet or a shelter.
Medicine: Ivermectin 10ml vial, Topicure Spray, Betadine lotion, Nebasulf/Neosporin Powder, Lorexane ointment, Himax
Treatment:
  • Put in Ivermectin (about 4-5 drops) in the wound.
  • You can also spray Topicure deep into the wound so that it irritates the maggots to emerge out. If maggots start to emerge, remove them with tweezers.
  • Then apply Nebasulf or Neosporin powder into the wound to heal and dry it.  Next apply Lorexane cream and fill the wound with this.
  • The final and most important layer is the ayurvedic fly repellant Himax cream. Apply it liberally all over the wound so that flies do not get to the wound again.
  • The next day if you can treat the wound again, you will need to repeat the same steps again.
  • Once the wound is a pink colour, you can just sprinkle Neosporin powder in the wound and apply Himax liberally on top of it until it heals.
How to tie a muzzle to treat a dog?
  • Use a long strip of material or a tape (not adhesive or any sticky tape, please)
  • Place the strip of material on top of the dog’s nose.
  • Loop the material under the dog’s chin and tie it into a knot.
  • Bring the ends of the material back behind the dog’s ears and tie into a bow on top of the head.
Remember: Use the muzzle only for treating a dog for a few minutes as the dog can get overheated.
* Please note: This information is for informative purposes. Please do contact a veterinary doctor or take the animal to a shelter for thorough treatment if symptoms look grave. For further queries or guidance, please write to jaagrutiindia@gmail.com or unitedforanimals.india@gmail.com or call Vasudha @ +91 (0) 9818 144 244 / Sujatha @ +91 (0) 9899 998 673 (First Aid queries).

Tuesday, October 5, 2010

Feeding Street Dogs

Delhi High Court Ruling on feeding Street Dogs


To best understand the informaton presented below, please read the same in a sequential order:

1. High Court Judgement in December 2009 on Street Dog Feeding

(Related article in Hindi and News Reports filed on the subject)

2. Update on the case as per a hearing held in February 2010

3. Indian Express Story dated 11 th May, 2010 “Ministry to amend rules, give more power to friends of strays”


1. High Court Judgement in December 2009 on Street Dog Feeding

Delhi High Court to the rescue of those who feed street animals

In December, 2009, the Delhi High Court order passed the below attached judgement in the matter of DOG FEEDING in DELHI.

Delhi High Court Order on feeding street dogs Deecmber 2009

  • · What is interesting about the order is :Its a consent order – passed with the consent of the counsel for the petitioners (individuals and Animal Welfare Organizations), and the counsel representing NCT Delhi, the Delhi Police, the M.C.D., and the A.W.B.I. ;The judge has set out why dogs must be fed – ‘ to keep them confined to a particular place, so as to subject them to sterilization/vaccination/re-vaccination, as the vaccination does not last more than one year ‘ ;

    The judge has clarified that in the first instance, the ‘sites/spots’ where stray dogs are to be fed shall be identified by the Animal Welfare Board of India ; and

    The Delhi Police has been directed to ensure that no harm is caused to the volunteers of A.W.O.s feeding dogs. (Everybody can be a volunteer of one or the other A.W.O.)

दिल्ली उच्च नयायालय का फैसला:

‘बेख़ौफ़ होकर खिलाएं-पिलायें अपने इलाके के गली के कुत्तों को’

Image Courtesy: Welfare of Street Dogs-India

आज से लगभग चार साल पहले, शालीमार बाग, दिल्ली की एक कालोनी के लोगों और पद-अधिकारियों ने दो बहनों का जीना दुश्वार बना दिया था, इन युवतियों का ‘दोष’ सिर्फ यह था कि वह अपनी कालोनी के गली के कुत्तों को रोज़ खाना खिलाती थी. एक दिन दिन-दहाड़े कालोनी वालों ने इन सारे कुत्तों को सीडियों से घसीट कर, लाठी से मार-मारके बेदर्दी से मार डाला. इस दिल-दहलाने वाले हादसे की जानकारी मिलने के बाद, मैं एक स्वयंसेवी कार्यकर्ता के तौर पर (उस समय मैं अपनी पढाई पूरी कर रही थी) अपने कुछ दोस्तों और इन दोनों लड़कियों के साथ शालीमार बाग के पुलिस थाने में जाकर कई घंटो बैठी रही पर पुलिस ने हमारी एक न सुनी, इस मामले कि शकायत या ऍफ़.आई.आर दर्ज करना तो बहुत दूर कि बात थी…आधी रात तक इंतज़ार करने के बाद हमारी सारी उम्मीदें टूट गईं और हम निराश होकर थाने से अपने घरों कि और चल दिए.

कुत्तों को ज़हर देकर मार डालना, पीट-पीट कर मार डालना, पिल्लों को गाड़ियों के नीचे रौंद देना, उन्हें नालियों में फैंक देना ताकि वह ठण्ड से ठिठुरते हुए मर जाएँ..यह किस्से बहुत ही आम हैं, कई निर्लज, निर्मोही लोगों को ऐसी क्रूड़ता-पूर्वक हरकतें करके न जाने कौन सा सुकून मिलता है!

जबकि गौर फरमाने वाली एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि भारत के संविधान के article 51 (a) clause (g) के तहत, ” हर भारतीय नागरिक का मौलिक कर्तव्य है कि वह प्रकृति, जल, वन, वन्यजीवों का संरक्षण करे और हर जीव के लिए अपने मन में करुना और संवेदना रखे’ ….तो अब आप ही सोचिये कि क्या गली के पशु-पक्षियों को खाना-पानी डालना आखिर किस लिहाज़ से ‘जुर्म’ है?

अक्सर ऐसी घटनाएं सुनने में आतीं हैं कि आस-पड़ोस वाले जानवरों को खाना खिलाने वाले लोगों का उपहास करते हैं, उनकी खिल्ली उड़ाते हैं…ना केवल यह उन्हें गालियाँ देते हैं पर मानसिक और कभी-कभी शारीरिक तौर पर भी उनका उत्पीडन भी करते हैं… और क्युंकी यह पडोसी और कालोनी के पद-धारक इन जानवरों को जान से मारने या कालोनी से बाहर निकालने कि धमकी देते रहते हैं, ऐसे समय पर अक्सर होता यह है कि जानवर को खाना खिलाने वाला वो नागरिक अपने आप को एक बेहद कमज़ोर स्तिथि में पाता है क्युंकी इनका बचाव करने या साथ देने पुलिस भी नहीं आती तो आखिरकार ऐसे कई लोगों के दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटकाया.

….और अब कुत्तों को खाना खिलाने वालों को अपने पड़ोसियों से डरने कि ज़रुरत नहीं है.

दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वी.के जैन ने 18 दिसंबर को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि, “जानवर प्रेमी इन कुत्तों को खाना खिला सकते हैं और इनसे बदसलूकी करने वालों के खिलाफ पुलिस को भी इन जानवर प्रेमी-लोगों और गैर सरकारी संघटनों का सहयोग करना अनिवार्य है.”

यह फैसला नौ याचिकायों कि सुनवाई के दौरान शुक्रवार को सुनाया गया जिनमे से दो याचिकाएं पशुओं के लिए काम कर रहे दो गैर सरकारी संघटनाओं द्वारा दायर की गईं थी (‘फ्रेंदीकोज़’ और ‘सिटिज़न फॉर वेल्फेयेर एंड प्रोटेकशन ऑफ़ अनिमल्स) और बाकी सात याचिकाएं दिल्ली के सात इलाकों में रहने वाले जानवर-प्रेमियों ने दर्ज करी थी (डिफेन्स कालोनी, वसंत कुञ्ज, कालकाजी, नेब सराय, गीता कालोनी, साकेत और नांगलोई).

इन याचिका-कर्ताओं कि उच्च नयायालय से केवल एक ही मांग थी, ” कि पुलिस को उनकी शिकायतें सुननी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए जब गली के जानवरों की देखभाल और उन्हें खिलाने के ‘जुर्म’ में उन्हें अपने पड़ोसियों से उपहास और उत्पीडन का सामना करना पड़ता है.” इन याचिकायों के जवाबदेही और उत्तरदाई थे: दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस (इन्ही सब याचिका कर्तायों के इलाके के एस.एच.ओ), दिल्ली नगर निगम और भारतीय पशु जीव कल्याण बोर्ड.

सुनवाई के दौरान भारतीय पशु जीव कल्याण बोर्ड और जानवर प्रेमियों की तरफ से केस लड़ रहीं वकील साहिबा अंजली शर्मा ने न्यायाधीश के सामने “भारतीय पशु क्रूड़ता निवारण अधिनियम 1962″ के अंतर्गत ‘पशु जन्म नियंत्रण नियमों को कोर्ट के सामने रखा जिनमे साफ़ लिखा है कि, इन गली के कुत्तों के नस्बंधिकरण और रबीज़ टीकाकरण कार्यक्रम को सुचारू और सही ढंग से संचालित करने के लिए यह ज़रूरी है कि इन गली के कुत्तों को खिलाया-पिलाया जाए, जिससे कि उनकी कालोनी वालों से दोस्ती हो जाए और उनका वार्षिक रबीज़ टीकाकरण भी शांतिपूर्वक हो जाए… जिसमे कि कालोनी में रह रहे यह जानवर प्रेमी ही नगर निगम और यह कार्य कर रही गैर सरकारी संघटनों का इन जानवरों को पहचानने, पकड़ने, नसबंदी करवाने और टीके लगवाने में सहयोग करती है.

एक पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली उच्च नयायालय ने भारतीय पशु जीव कल्याण बोर्ड को इन सात इलाकों में (जहाँ से याचिकाएं की गईं थी) पुलिस, कॉलनी वासियों और इन इलाकों में जानवरों के लिए काम करने वाली गैर सरकारी संघटनों के साथ मिलकर, हर क्षेत्र में ऐसे इलाके केन्द्रित करने को कहा गया है जहाँ पशु प्रेमी इन गली के कुत्तों के लिए खाना ड़ाल सकें..इसके बाद यह योजना दिल्ली के अन्य इलाकों में भी बढाई और अपनाई जायेगी.

दिल्ली पुलिस की वकील मीरा भाटिया ने भी दिल्ली उच्च न्यायलय को आश्वासन दिया है कि, “पुलिस इस बात का ध्यान रखेगी कि इन गली के कुत्तों को खाना खिलाते समय या ऐसी किसी बात को लेकर इन जानवरों और इनको खिलाने वालों की वजह से कोई भी ‘विधि और व्यवस्था’ की समस्या उत्पन्न ना हो”.

तो अब आप बेबाकी और बेखौफी से इन गली के पशु-पक्षियों को खाना खिलाएं…साथ ही आप सरकार द्वारा संचालित ‘पशु नसबंदी कार्यक्रम’ से इन गली के कुत्तों के प्रजनन को काबू में रख इनकी जनसँख्या का रोकथाम करने में सरकार का सहयोग दें. साथ ही में आप इन गली के कुत्तों का रबीज़ बीमारी के विरुद्ध टीकाकरण करवाएं…ताकि यह नस्बंदिकृत और टीका-लगे गली के कुत्ते आपके प्रेम कि छाया में एक स्वस्थ और इज्ज़त कि ज़िन्दगी जी सकें.

(Text in Hindi: Vasudha Mehta)

Related News Reports, dated 19th December 2009

News Clippings on 19th December, 2009 in national newspapers- Hindustan Times, Indian Express and The Times of India :

Ensure_safety_of_stray_canines_Delhi_HC_to_govt_18_Dec_09

News Clippings in Various Newspapers

Times of India_19th December, 2009

Hindustan Times_19th December, 2009

Hindustan_19th December, 2009

Dainik Jagran_19th December, 2009

2. Update on the 2nd hearing of the street-dog feeding case

The second hearing on this subject was held on 4th February, 2010 by Mrs. Anjali Sharma (Legal advisor, Animal Welfare Board of India)

The Court had studied the attached guidelines ramed by the Board, and filed by us (namely, AWBI Guidelines on Street Dog feeding_presented to the High Court in February 2010.) They were accepted in entirety. However, since in the 6 colonies to which the petitioners before the Court belong – Saket, Vasant Kunj, Kalkaji, Geeta Colony, Neb Sarai, Shastri Nagar - dispute situations had arisen out of the feeding of dogs, the Court directed the AWBI to actually designate spots in those colonies within 6 weeks, in accordance with the Guidelines for the feeding of dogs.

What is pertinent is that the Court has made it clear that the AWBI is to have final say. The aspect of consultation with the RWAs, area SHOs, etc. no longer finds mention in the order. After designating spots, the AWBI is simply to share the information with all concerned, including the RWAs and area SHOs. The Court has also suggested that boards be put up by the AWBI at the designated dog feeding spots – as many as are necessary – so that the residents feeding dogs at those spots are not harassed by anyone.

The matter is next posted on the 10th of May, 2010.

-

Anjali Sharma, Advocate

Legal Advisor, Animal Welfare Board of India

Please Note: The Guidelines have been accepted by the Court, and can be used in dispute situations (pages 2 & 3).

Related News Reports, dated February, 2010

Times of India_5th February, 2010

Hindustan Times_5th February 2010

3. Ministry to amend rules, give more power to friends of strays

Tue, May 11, 2010, The Indian Express

In what will be the first law-backed protection accorded to those who feed and help sterilise stray dogs — animal lovers who have been targeted in numerous cases in the city earlier— the Ministry of Environment and Forests is working to amend the existing Animal and Birth Control (Dog) Rules to validate the contribution of citizens who help enforce the rules.

As per existing laws, stray dogs are supposed to be sterilised and returned to their localities under the Animal Birth Control (ABC) Rules of 2001.

While this was supposed to be enforced by the municipal authorities, it has proved to be virtually ineffective with the rising dog populations and mounting hostility of city localities towards stray dogs.

This has given rise to furious debates in Mumbai, Bangalore and Delhi on whether all stray dogs should be culled.

The proposed amendment now includes a “representative of the people who is a humanitarian or (a) well-known individual who has experience in animal welfare in the locality”.

Another amendment proposes to further impetus for local residents in taking the Animal and Birth Control (Dog) programme to a locality level.

A monitoring committee will be set up, which will include representatives from the Animal Welfare Board of India (AWBI), municipal authorities and a local representative who has the necessary “experience” of working for animal welfare in the locality.

“This amendment will validate and give official recognition to those who feed dogs and help sterilise them. This will also lead to greater public participation in the committees created for dog control. The committees will not be the exclusive domain of just municipal bodies or NGOs. Local residents can now take part,” says Anjali Sharma, legal adviser to the AWBI, which is working with the MoEF on the rules.

This will address routine complaints put forth by various dog lovers who say they have been targeted, even attacked, for feeding dogs in their localities. In Delhi over the last year, several such complaints have been filed in police stations, with as many as seven such cases of harassment coming up in the High Court.

As per the High Court’s directions, police protection has been provided to the seven litigants who said they were being attacked for feeding dogs. These residents also said that they were vaccinating and sterilising the dogs. The High Court then observed that feeding stray dogs was helpful for enforcement of the ABC rules.

The rules also address the issue of nuisance or rogue dogs, and how they can be dealt with if they attack humans.

Dog feeding sites identified in city, AWBI tells HCThe Animal Welfare Board of India (AWBI) has provided information to the Delhi High Court on Monday about its designated ‘dog feeding sites’. These will be public areas where stray dogs can be fed to avoid conflict with other local residents who are not comfortable with dogs. These most typically will be service lanes or areas outside a dog lover’s home. Sites have been identified at Nev Sarai, Kamla Nagar, Roop Nagar, Kasturba Gandhi Marg and two in Vasant Kunj.